Friday, March 6, 2020

इस्लाम में “मुता निकाह ” और "मिस्यार निकाह" नाम से प्रथा चालू है इसका क्या मतलब है ? क्या इसे वेश्यावृति कहना सही नहीं होगा ?

उत्तर : इस्लाम में “मुता निकाह” नाम से एक प्रथा चालू है | किसी भी स्त्री को पैसे देकर थोड़े समय के लिए कुछ घंटों या दिनों के लिए बीबी बना लेना और उससे विषयभोग करना तथा फिर सम्बन्ध विच्छेद करके त्याग देना “मुता निकाह ” कहलाता है |

एक मर्द कितनी ही औरतों से मुता कर सकता है, इससे स्पष्ट है की “इस्लाम में नारी का महत्व केवल पुरुष की पाशविक वासनाओं की पूर्ति करना मात्र है आश्चर्य है की जिस इस्लाम मजहब में मुता जैसी गन्दी प्रथा चालु है | उस पर भी वह नारी के सम्मान की इस्लाम में दुहाई देने का दुःसाहस करते है| यह इस्लाम का मजहबी रिवाज है | अय्याशी के लिए मुता करने पर औरत उस मर्द से अपनी मेहर (विवाह की ठहरौनी की रकम) या (फीस) मांगने की भी हकदार नहीं होती है | यदि मुता के दिनों वा घंटों में विषयभोग करने से उस स्त्री को गर्भ रह जावे तो उसकी उस मर्द पर कोई जिम्मेवारी नहीं होती है | मुता निकाह की अवधि खत्म होने के बाद महिला का संपत्ति में कोई हक नहीं होता है और ना ही वो पति से जीविकोपार्जन के लिए कोई आर्थिक मदद मांग सकती जबकि सामान्य निकाह में महिला ऐसा कर सकती है.


मिस्यार निकाह (ट्रैवेलर्स मैरिज) 

इस्लाम के जानकरों से अनुरोध है की अपना उत्तर कमेंट बॉक्स में विज्ञानिक आधार सहित दें

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